मुद्दा था: कोपेनहेगन की विफलता के बाद कानकुन में क्या करना चाहिए
मेरे विचार से अमेरिका जो की पर्यावरण बदलाव से सबसे ज्यादा प्रभवित होगा, एक रणनीति के तहत पहल करने से बच रहा है कियोंकि negotiation मैं जो अपने पत्ते अंत तक बचा कर रखता है फायदे में रहता है
वर्ना अमेरिका, जो एक विकसित , शिक्षित तथा एक प्रजातंत्र है कार्बोन उत्सर्जन के नुक्सान के बारे मैं ज्यादा जागरूक होंना चाहिए लेकिन एसा नहीं दिख रहा या दिखा रहा
इसके उलट भारत में glasiar पिघलने, कृषी को होने वाले नुक्सान को बहुत बढा चढ़ा प्रस्तुत किया गया जबकि भारत की भोगोलिक स्तिथि उसे विश्व के अन्य देशों के मुकाबले बेहतर स्तिथि देती है
तापमान में दो डिग्री की बढ़ोतरी से भारत को कम नुक्सान होगा क्योंकि भारत में कम से कम तापमान और ज्यादा से ज्यादा तापमान को सहन करने की छमता है
अमेरिका या यूरोप में यह छमता कम है
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