उनके शब्दों में :
''बचपन में गाय के बारे में पढ़ी इस्माईल मेरठी की लिखी उर्दू की एक कविता याद आती है
' कल जो घास चरी थी बन में
दूध बनी वो गाय के थन में '
यानी गाय एक दिव्य पशु है जो घास जैसे पदार्थ को दूध में बदल देती है. इस कविता ने मुझे एक बड़ा पाठ पढाया वो यह कि इश्वर ने गाय को मनुष्य के लिए एक मॉडल बनाया है कि मनुष्य को अपने व्यक्तित्व में बदलने का गुण लाना चाहिए जिससे हम नेगेटिव विचारों को पोजितिव विचारों में परिवर्तित कर सकें.